कोशिश करने वालों की हार नहीं होती कविता : सोहनलाल द्विवेदी








कोशिश करने वालों की हार नहीं होती : दोस्तों जब भी यह जीवन कठिन लगता है या फिर ऐसा महसूस होता है कि असफलता, निराशा ही मेरी किस्मत में लिखी है तो सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा लिखी गयी एक कविता मेरे जीवन को एक नया उत्साह दे देती है और फिर से एक बार संघर्ष करने को मजबूर कर देती है.
जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है हार जाना या हार जाने का भय आपको हथियार डालने पर मजबूर कर देते है. और जो लोग संघर्षों के सामने हथियार डाल देते है वो जिन्दा होकर भी मुर्दों के समान जीवन जीते है या फिर जीवन को समाप्त कर लेते है. हर व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी ऐसी परिस्थितियों का सामना करता है जब उसे ऐसा महसूस होता है कि अब मेरे जीने का कोई मतलब नहीं है यह भाव ही मन की पराजय को सूचित करता ह.
किसी ने कहा है “मन के हारे हार है और मन के जीते जीत
कहने का मतलब जिसका मन हार गया वो कभी भी जीतने का प्रयास कर ही नहीं सकता इसलिए जीवन में कुछ भी हार जाओ लेकिन मन यानि कि हौसला कभी भी नहीं हारना चाहिए. आपको कभी भी जवान में असफलता का भय या साहस खोने का भय उत्पन्न हो जाए सोहनलाल द्विवेदी जी की लिखी इस कविता को गुनगुना लेना जीवन में उत्साह जरुर उत्पन्न हो जाएगा.

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती कविता : सोहनलाल द्विवेदी

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती


असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
कुछ लोग ऐसा भी दावा करते है की यह कविता हरिवंश राय बच्चन जी की लिखी हुई है जबकि ऐसा नहीं है यह कविता सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा रचित है. स्वयं अमिताभ बच्चन जी ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में इस बात को कहा है की कोशिश करने वालों की हार नहीं होती कविता सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा रचित है.
koshish karne walon ki haar nahi hoti
koshish karne walon ki haar nahi hoti
जीवन और सघर्ष को लेकर और चंद पंक्तियाँ मेरी तरफ से –
चला चल अकेला तू कर्तव्य पथ पर 
होकर के आरुढ़ द्रढ़ता के रथ पर
कभी मार्ग में कोई बाधा भी आये
कि किंचित कभी भी कदम लड़खड़ाये
ना टूटे कभी धैर्य की एक लड़ी भी
ना छूटे कभी आस की एक घड़ी भी
भले मार्ग में आये लाखों विफलताएं
अडिग हो के चलना मिलेगी सफलताये
तो दोस्तों जीवन में कितना भी संघर्ष क्यूँ ना हो हिम्मत नहीं हरनी चाहिए. स्वामी विवेकानंद ने कहा है –
असफलता की चिंता मत करो वे बिलकुल स्वाभाविक है, जीवन का सौन्दर्य है यदि संघर्ष ना रहे तो जीवन व्यर्थ है और इसी संघर्ष में ही तो है जीवन का काव्य, अपने आदर्श को सामने रखकर हजार बार आगे बढ़ने का प्रयास करो और यदि तुम हजार बार भी असफल होते हो तो एक बार फिर प्रयास करो“.

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